1. संस्था का नाम ” अखिल भारतीय रैगर महासभा ‘‘
2. इस संस्था का पंजीकृत कार्यालय श्री गंगा मन्दिर, रैगरपुरा चौक, आर्य समाज रोड़, करौल बाग, नई दिल्ली-5 में स्थित होगा तथा मुख्यालय – 9, संस्थानिक क्षेत्र, जवाहरलाल नेहरू मार्ग, जयपुर (राजस्थान) 302015, जो कि कार्यकारिणी की स्वीकृति से अन्यत्र भी बदला जा सकेगा।
3. इस संस्था के लक्ष्य एवं उद्देश्य निम्नलिखित होंगे :-
(अ). इस सभा का लक्ष्य रैगर समाज का सर्वागीण उत्थान करना और इसके गौरव को बनाए रखना होगा ।
(आ). रैगर समाज की सामाजिक, शैक्षणिक, आध्यात्मिक और आर्थिक उन्नति करना तथा रैगर समाज के सामाजिक अधिकारों का संरक्षण कराते हुए समाज की चहुंमुखी उन्नति करना ।
(इ). अपने अधिकारों तथा स्वत्व रक्षा के लिए सदाचार, संगठन और निर्भयता का विस्तार करना ।
(ई). समाज के लिए उचित एवं ऐच्छिक सेवा भावना को प्रोत्साहन देना ।
(उ). समाज के सत्य, अहिंसा, प्रेम एवं एकता को प्रोत्साहन देना ।
(ऊ). समाज के हितों की रक्षा तथा सामाजिक अभावों को दूर करना ।
(ए). समाज के जीवन स्तर को ऊॅचा उठाना तथा चरित्र निर्माण करना ।
(ऐ). राष्ट्र के समस्त नागरिकों के साथ बिना किसी लिंग जाति तथा धर्म भेद के भातृत्व भाव बढ़ाना और सामाजिक निर्योगिताओं को दूर करना तथा कराना ।
(ओ). समाज में मादक वस्तुओं के सेवन का निषेध करना ।
4. अखिल भारतीय रैगर महासभा संस्थापन पंजीकरण अधिनियम 21 सन् 1860 (पंजाब संशोधन) अनुच्छेद अनुसार जो केन्द्रीय प्रशासित प्रदेश दिल्ली में विस्तारित किया गया है।
5. हम, निम्न हस्ताक्षरकर्ता संस्थापन पंजीकरण अधिनियम संस्था 21 सन् 1860 (पंजाब संशोधन) अधिनियम 1957 जो कि केन्द्र प्रशासित प्रदेश दिल्ली में भी लागू किया गया है के अंतर्गत, इस स्मरण पत्र के अनुसार अखिल भारतीय रैगर महासभा नाम की संस्था स्थापित करने के इच्छुक है।
क्रमांक | नाम | हस्ताक्षर एवं पता | व्यवसाय, साक्षी का नाम, पता आदि विवरण |
1 | नवल प्रभाकर | सी – 82, कीर्ति नगर ए नई दिल्ली | संसद सदस्य |
2 | चौ. पदम सिंह सक्करवाल | ब्लाक न. 2, देव नगर करोल बाग, दिल्ली | व्यापर नेक एण्ड कम्पनी सदर बाजार दिल्ली |
3 | कंवर सैन मोर्य | 7/5287, कृष्ण नगर, करोल बाग, दिल्ली | धर्म व्यवसाय निजिगृह पर |
4 | बिहारीलाल जागृत | 15/3658, रैगरपुरा, करोल बाग दिल्ली | सेवा काय्र लोक निर्माण विभाग, नई दिल्ली |
5 | देवेन्द्र कुमार चांदोलिया | 28, बीडन पुरा, करोल बाग, नई दिल्ली | अध्यापन (गृह) |
6 | प्रंभुदयाल रातावाल | 62, रैगरपुरा, करोल बाग, दिल्ली | व्यापार निजी गृह |
7 | शंभुदयाल गाडेगावलिया | 43, रैगरपुरा, करोल बाग, दिल्ली | व्यापार निजी गृह |
8 | चौ. ग्यारसाराम चांदोलिया | 28, बीडन पुरा, करोल बाग, दिल्ली | व्यपार निजी गृह |
9 | चौ. गौतम सिंह सक्करवाल | ब्लाक नं 3, देव नगर, करोल बाग, दिल्ली | व्यापार नेक कंपनी, सदर बाजार, दिल्ली |
10 | खुशहाल चन्द्र मोहनपुरिया | 45, रैगरपुरा, करोल बाग, दिल्ली | निजी व्यापार |
आज दिनांक 14 जुलाई, 1965
1. इस संस्था का नाम अखिल भारतीय रैगर महासभा होगा, यहां के पश्चात् महासभा या सभा के नाम से उल्लेखित की जायेगी।
2. भारतीय गणराज्य की सीमाएं सभा की सीमाएं तथा कार्य क्षेत्र होंगे ।
3. महासभा का मुख्य पंजीकृत केन्द्रीय कार्यालय दिल्ली में होगा, जो महासभा की कार्यकारिणी की स्वीकृति से अन्यत्र भी बदला जा सकेगा । (दिल्ली पंजीकृत कार्यालय का पता :- श्री गंगा मन्दिर, रैगरपुरा चौक, आर्य समाज रोड़, करौल बाग, नई दिल्ली-5)
4. स्मरण पत्र मे दिये गए तद्नुसार ।
5. महासभा अपने लक्ष्य तथा उद्देश्यों को मूर्तरूप देने के लिए समय तथा परिस्थितियों के अनुसार यथोचित कार्यक्रम बनायेगी एवं कार्यपूर्ति के लिये आवश्यक धन संग्रह करेगी, जिसके स्त्रोत निम्न प्रकार होंगे ।
(अ). पदाधिकारियों, कार्यकारिणी के सदस्य एवं प्रतिनिधियों के शुल्क चन्दा एवं दान । (आ). सार्वजनिक अनुदान एवं चन्दा । (इ). राज्य एवं अन्य संस्थाओं से ऋण, अनुदान आदि । (ई). विविध एवं प्रकीर्ण तथा जैसा समय-समय पर कार्यकारिणी समिति निर्धारित करें । कार्यक्रम अपने लक्ष्य तथा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए समय तथा परिस्थितियों के अनुसार, महासभा उचित, आवश्यक और वैध कार्यक्रम बना सकती है ।
6. प्रत्येक व्यक्ति जो रैगर जाति का है तथा महासभा की सीमा एवं कार्यक्षेत्र का निवासी है उस पर यह विधान पूर्ण रूप से लागू होगा ।
7. प्रत्येक रैगर स्त्री व पुरूष जिसकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो, महासभा का प्राथमिक सदस्य माना जावेगा ।
8.
(अ). प्रत्येक प्रेदश अपना एक मुख्य कार्यालय स्थापित करेगा । परन्तु कार्यालय के स्थान की पूर्व स्वीकृति महासभा की कार्यकारिणी से लेनी होगी । (आ). प्रादेशिक सभा की कार्यकारिणी महासभा की कार्यकरिणी से स्वीकृति लेकर अपना कार्यालय अन्यंत्र बदल सकेगी ।
(इ). प्रतिनिधि सदस्यों की संख्या असीमित (आजीवन) की गई हैं ।
9. महासभा के सिद्धान्तों तथा उसके द्वारा समय समय पर पारित नीति में विश्वास रखने वाला तथा गत सम्मेलनों में स्वीकृत प्रस्तवों का मन, वचन-कर्म से पालन करने वाला प्राथमिक सदस्य ही महासभा का प्रतिनिधि हो सकता है ।
(अ). महासभा तथा प्रादेशिक सभाओं द्वारा जातिय सुधार सम्बंधित पारित प्रस्तावों के उल्लंघन करने पर दण्डित व्यक्ति तीन वर्ष तक प्रतिनिधि नहीं बन सकेगा और ना नही बना रह सकेगा । (आ). प्रतिनिधि की आयु कम से कम 25 वर्ष होना अति आवश्यक है । 1. प्रत्येक रैगर स्त्री एवं पुरूष जिसकी आयु 25 वर्ष या इससे अधिक हो, महासभा का प्रतिनिधि सदस्य बनाया जायेगा ।
10. प्रतिनिधियों का पुन: चुनाव न हाने तक वर्तमान प्रतिनिधिगण ही अपने अपने प्रदेशों (क्षेत्रों) में महासभा द्वारा समय समय पर दिये गए आदेशों तथा प्रतिपादित नीति का पालन करते हुए उन्हें क्रियात्मक रूप देने तथा दिलाने का प्रयत्न करेगें ।
(अ). अखिल भारतीय प्रादेशिक सम्मेलनों तथा अन्य निमंत्रित स्थानों व अवसरों पर यथा सम्भव भाग लेने का प्रयत्न करते रहेगें । (आ). भारत के किसी भाग में समाज पर संकट के समय उस कंकट को तन, मन, धन से दूर करने और कराने का प्रयत्न करते रहेगें । (इ). प्रतिनिधि सदस्य को ग्यारह सौ (1100.00) रूपये शुल्क देना होगा, जो आजीवन सदस्य माना जावेगा । तथा वह केन्द्र, प्रदेश, जिला, ब्लॉक तहसील स्तर पर सदस्य बनाया जावेगा । जिसका सम्पूर्ण विविरण एवं निर्धारण शुल्क मय सदस्यता सूची अखिल भारतीय रैगर महासभा के मुख्यालय जयपुर में भिजवाया जाना अवश्यक होगा । जिनका एकजाई पंजिका मुख्यालय स्तर पर संधारित किया जावेगा । वही प्रतिनिधि सदस्यों का पंजीकरण क्रमांक नम्बर कहलायेगा एवं वही मतदाता कहलायेगा । शुल्क के रूप में प्राप्त सम्पूर्ण राशि मुख्यालय में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष को जमा कराई जावेगी तत्पश्चात् जमा राशि में से पच्चीस प्रतिशत (1/4) राशि प्रदेश जिला कार्यकारिणी को महासभा के कार्यकलापों की गतिविधियों में उपयोग लेने हेतु राष्ट्रीय अध्यक्ष की अनुमति प्राप्त कर राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष द्वारा भिजवाई जावेगी ।
11. प्रतिनिधि सदस्यों का समूह ” आमसभा ” कहलायेगा जो सर्वोपरि सत्ता होगी । महासभा की कार्यकारिणी ” आमसभा ” के प्रति उत्तरदायी होगी ।
(अ). आवश्यकता के समय कुल प्रतिनिधि को 1/10 संख्या अपने हस्ताक्षर से महासचिव को लिखकर प्रतिनिधि मंडल की बैठक बुलाने की मांग कर सकते हैं और यदि इस बैठक को अधिकारीगण एक मास तक न बुला सकें, तो हस्ताक्षरकर्ता प्रतिनिधिगण स्वयं प्रतिनिधियों की बैठक बुला सकते है । परन्तु ऐसी बैठक की सूचना प्रत्येक पदाधिकारी को तथा प्रतिनिधि को दो सप्ताह पूर्व देना अनिवार्य होगा। (आ). महासभा का कोई कभी अधिकारी या कार्यकारिणी का सदस्य एवं समस्त कार्यकारिणी कोई ऐसा कार्य करे जिसके कारण महासभा के विधान, नीति तथा पारित प्रस्ताओं की अवहेलना हो, तो महासभा की कार्यकारिणी ऐसे पदाधिकारी या सदस्य के विरूद्ध आरोप लगा सकेगी तथा अनुशासनात्मक कार्यवाही या अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत व स्वीकृत कर सकेगी । यदि कार्यकारिणी इस कार्य को करने मे असमर्थ रहेगी तो प्रतिनिधि मंडल धारा 11, उप धारा (अ), के अंतर्गत बैठक बुलाकर कर पूरा कर सकेगी । (इ). महासभा के पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी समिति के सदस्यों के निर्वाचन तथा अन्य मतदान के अवसरों पर प्रत्येक प्रतिनिधि सदस्य को एक मत देने का अधिकार होगा । (ई). 1. अखिल भारतीय प्रादेशिक तथा प्रतिनिधि सम्मेलनों के अवसरों पर प्रस्ताव तथा प्रस्तवों में संशोधन प्रस्तुत कर सकेगें। 2. प्रस्तुत प्रस्तावों के अनुमोदन तथा समर्थन कर सकेगें । 3. प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिये प्रस्ताव की रूप रेखा कार्यकारिणी सभा को सम्मेलन से कम से कम एक सप्ताह पूर्व भेजना अनिवार्य होगा ।
12.
(अ). राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के प्रत्याशी को प्रतिनिधि सदस्य होना आवश्यक है । (आ). राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का उम्मीदवार मद्यसेवी नहीं होना चाहिए । (इ). राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के प्रत्याशी की आयु कम से कम 35 वर्ष या इससे अधिक अवश्य होनी चाहिये । (ई). राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को हिंदी भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है ।
13. महासभा का कोई पदाधिकारी मद्यसेवी नहीं होना चाहिए तथा कम से कम 25 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो ।
14. निम्नलिखित पदाधिकारियों का चुनाव प्रतिनिधियों में से प्रतिनिधियों द्वारा किया जावेगा ।
इस धारा में आंशिक संशोधन कर नवपद सृजन/पदनाम संशोधन किया गया है । जिसका विवरण निम्न प्रकार है :-
क्र.सं. | संशोधित पदनाम | पदों की संख्या |
1 | राष्ट्रीय अध्यक्ष | 1 |
2 | राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष | 1 |
3 | राष्ट्रीय उपाध्यक्ष | 6 |
4 | राष्ट्रीय महासचिव | 6 |
5 | राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष | 1 |
6 | राष्ट्रीय सह कोषाध्यक्ष | 1 |
7 | राष्ट्रीय सचिव | 6 |
8 | राष्ट्रीय उप सचिव | 4 |
9 | राष्ट्रीय प्रचार एवं प्रसार सचिव | 4 |
10 | राष्ट्रीय संगठन सचिव | 4 |
11 | राष्ट्रीय सदस्य कार्यकारिणी | 51 |
14.
(अ). प्रत्येक पद के प्रत्याशी को कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित मनोनीत पत्र भरना होगा, जिस पर प्रत्याशी के अतिरिक्त दो अन्य प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर होना आवश्यक होगा । एक प्रत्याशी के प्रस्तावक तथा अनुमोदक उसी पद के लिए अन्य प्रत्याशी के प्रस्तावक या अनुमोदक नहीं हो सकते । इन मनोनीत पत्रों को निम्न लिखित शुल्क सहित कार्यकारिणी या उसके द्वारा मनोनीत या निर्वाचित चुनाव समिति अधिकारी या अधिकारियों के पास निश्चित अवधि में भेजना आवश्यक होगा ।
इस धारा में आंशिक संशोधन करते हुए मनोनयन पत्र की कीमत 50/- रू होगी एवं चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के चुनाव शुल्क में निम्नांनुसार परिवर्तन किया जाता है :-
क्र.सं. | संशोधित पदनाम | प्रत्याशियों के चुनाव शुल्क |
1 | राष्ट्रीय अध्यक्ष | 21,000/- |
2 | राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष | 21,000/- |
3 | राष्ट्रीय उपाध्यक्ष | 11,000/- |
4 | राष्ट्रीय महासचिव | 11,000/- |
5 | राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष | 5,000/- |
6 | राष्ट्रीय सह कोषाध्यक्ष | 5,000/- |
7 | राष्ट्रीय सचिव | 5,000/- |
8 | राष्ट्रीय उप सचिव | 5,000/- |
9 | राष्ट्रीय प्रचार एवं प्रसार सचिव | 5,000/- |
10 | राष्ट्रीय संगठन सचिव | 5,000/- |
11 | राष्ट्रीय सदस्य कार्यकारिणी | 1100/- |
(आ). इस धारा में संशोधन किया गया कि चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार चुनाव अधिकारी द्वारा घोषित निर्धारित अवधि में अपनी उम्मीदवारी से नाम वापस लेकर फार्म विड्रा कर लेता है तो उस उम्मीदवार का नामांकन शुल्क वापस लौटाया जा सकेगा परन्तु मनोनयन शुल्क 50/- रूपये वापस नहीं लौटाये जायेगें ।
(इ). एक व्यक्ति एक शुल्क में एक ही पद के लिए मनोनित पत्र भर सकेगा ।
(ई). एक ही व्यक्ति जो भिन्न – भिन्न पदों का प्रत्याशी है तो उसे भिन्न भिन्न निर्धारित शुल्क सहित प्रत्येक पद के लिये अलग – अलग मनोनित पत्र भरने होगें ।
(उ). एक से अधिक पदों पर चुने जाने पर कोई भी व्यक्ति एक ही पद पर अपनी रूचि के अनुसार बना रह सकेगा । अन्य पदों से उसे त्याग पत्र देना होगा ।
(ऊ). निश्चित तिथि के पश्चात आये हुए मनोनीत पत्र किसी भी अवस्था में स्वीकृत नहीं किये जा सकेगें ।
(ए). चुनाव समिति या अधिकारी मनोनीत पत्रों पर मतदाता द्वारा की गई आपत्तियों की जांच तथा अन्य नियमित जांच के पश्चात् उचित व्यक्तियें के नाम प्रकाशित कर देगें । जिन प्रत्याशियों के नाम जांच के पश्चात चुनाव अधिकारियों द्वारा प्रकाशिकत किये जा चुकेगें उन में से प्रत्येक व्यक्ति को अधिकार होगा कि वे निश्चित समय तक अपना नाम लिखित रूप में वापिस ले सकें । इस धारा में नया प्रावधान (ए) (1) जोड़ा गया है , जो इस प्रकार है :-
अखिल भारतीय रैगर महासभा की कार्यकारिणी के चुनाव मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी होती है तो ऐसी परिस्थिति में कार्यकारिणी के चुनाव केन्द्रीय कार्यालय के अलावा संभागीय/प्रदेश स्तर पर कराया जा सकेगा । जिसकी पूर्ण व्यवस्था मौजूदा कार्यकारिणी द्वारा चुनाव अधिकारी के माध्यम से करवाने की व्यवस्था प्रस्तावित है ।
(ऐ). नाम वापिस लेने की तिथि के पश्चात् घोषित व्यक्ति ही भिन्न – भिन्न पदों के लिये प्रत्याशी समझे जायेगें ।
(ओ). यदि नाम वापिस लेने के पश्चात प्रत्येक पद के लिये या किन्हीं पदों के लिये एक – एक प्रत्याशी ही शेष रह जाते हैं तो उन्हें ही उन पदों के लिये आगयामी तीन वर्षों के लिये उचित रूपेण निर्वाचित पदाधिकारी घोषित कर दिये जाऐगें ।
(औ). यदि नाम वापिस लेने की तिथि के पश्चात प्रत्येक पद के लिये या किन्ही पदों के लिये एक से अधिक प्रत्याशी बचते हैं तो उन पदों के लिये चुनाव किया जाएगा ।
1. जैसा कार्यकारिणी उचित समझे वैसे ही (यथा प्रत्येक प्रतिनिधि को प्रत्याशियों के नामों सहित छंद शलाका भेजकर या किसी निश्चित स्थान पर प्रतिनिधि सम्मेलन बलाकर वहीं) चुनाव कराया जा सकता है ।
2. यदि चुनाव पत्र भेजकर करया गया तो प्रत्याशियों के नामों सहित मत-पत्रिका प्रतिनिधियों के घर पर डाक से भेज दिये जाऐंगे, जिनको निश्चित अवधि तक महासभा के कर्यालय या चुनाव कार्यालय को अपनी सम्मति सहित वापस भेजने होंगे । निश्चित अवधि के पश्चात आने वाले मतपत्र (राय) स्वीकार नहीं किये जाएंगें । मत के लिए सबसे सरल विधि यह है कि उम्मीदवार के नाम के आगे चिन्ह लगा दिया जाए, मतपत्र मौजूदा कार्यकारिणी, इसके द्वारा निर्वाचित उपसमिति, मनोनित या निर्वाचित, चुनाव अधिकारी, प्रत्याशियों या उनके प्रतिनिधियों के सामने खोलेंगे ।
3. प्रत्येक पद के लिए सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले व्यक्ति आगामी तीन वर्षों के लिए महासभा के पदाधिकारी तथा कार्यकारिणी के सदस्य उसी समय या निश्चित अवधि में चुनाव अधिकारियों द्वारा घोषित कर दिये जाएंगे ।
4. प्रत्येक प्रदेश से निर्वाचित होन वाले कार्यकारिणी के सदस्यों की संख्या उस समय की (वर्तमान महासभा की) कार्यकारिणी द्वारा निश्चित किये जाएंगे । जिनकी केन्द्र विधिवत घोषणा कर शपथ ग्रहण के पश्चात् ही सम्बंधित सदस्य पदारूढ़ माने जाएंगे ।
5. यदि चुनाव प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाकर करना होगा तो चुनाव के लिए प्रत्येक प्रतिनिधि को चुनाव से कम से कम पन्द्रह दिन पूर्व प्रत्याशियों की सूची सहित चुनाव में बैठक के लिए निश्चित दिन, समय तथा स्थान आदि के बारे में सूचना भेजनी आवश्यक है ।
6. इस बैठक के लिए प्रतिनिधियों की कुल सदस्य संख्या 1/3 सदस्यों का उपस्थित होना आवश्यक होगी यदि निश्चित समय से एक घंटा पश्चात् तक बैठक की गणपूर्ति नहीं होगी तो बैठक दूसरे दिन के लिए उसी स्थान तथा उसी समय तक के लिए स्थगित हो जाएगी । यदि इस बैठक में भी गणपूर्ति न होगी तो किया हुआ निर्वाचन वैद्य माना जाऐगा ।
7. निर्वाचन के लिए निर्वाचन समिति या अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य होगी ।
8. प्रत्येक पद का चुनाव क्रमश: गुप्त मतदान द्वारा होगा ।
9. मत गणना उसी समय उपस्थित निर्वाचन समिति या अधिकारी द्वारा की जायेगी ।
10. प्रत्येक पद के लिए सर्वाधिक मत प्राप्त व्यक्ति आगामी तीन वर्षों के लिए महासभा के पदाधिकारी होंगे, जिनकी घोषणा तत्काल ही या निश्चित अवधि में चुनाव समिति या अधिकारी द्वारा कर दी जाऐगी ।
(अ). नव निर्वाचित पदाधिकारियों तथा कार्यकारिणी के सदस्यों को अपनी पहली बैठक में निम्न प्रकार से शपथ ग्रहण करनी होगी । जब तक कोई पदाधिकारी या सदस्य शपथ गृहण नहीं करेगा तब तक पदारूढ नहीं माना जायेगा । यह अवधि दो मास या दूसरी बैठक, जो भी बाद में हो, होगी पश्चात् सम्बन्धित पद या स्थान रिक्त माना जायेगा । शपथ राष्ट्रीय अध्यक्ष जी बैठक के अलावा भी दिला सकते हैं ।
(आ). प्रत्येक पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी के सदस्यों को संशोंधित धारा -14 (अ) अनुसार निर्धारित किया गया शुल्क देना अनिवार्य होगा ।
मैं अपने इष्टदेव को साक्षी करके निष्ठापूर्वक शपथ लेता हूं कि मैं अखिल भारतीय रैगर महासभा के विधान तथा रैगर समाज के प्रति सद्भक्त रहूंगा और ऐसा कोई काय्र नहीं करूंगा जो रैगर समाज के उत्थान में बाधक हो । |
15. महासभा के किसी भी चुनाव में व्यक्तिगत आक्षेप, अश्लील प्रचार, प्रचारार्थ सभाएं करना किसी भी प्रकार का अनुचित दबाव देना, प्रभाव डालना या किसी भी प्रकार का प्रलोभन देना सर्वथा वर्जित है ।
16. किसी कारणवश, उदाहरणार्थ किसी पदाधिकारी की मृत्यु, पद त्याग करने पर :-
(अ). राष्ट्रीय अध्यक्ष के अतिरिक्त अन्य पदाधिकारीयों के रिक्त पदों की पूर्ति कार्य कार्यकारिणी समिति और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की पूर्ति प्रतिनिधि सभा करेगी ।
(आ). कार्यकारिणी समिति के सदस्यों के रिक्त स्थानों की पूर्ति सम्बंधित अधिकार राष्ट्रीय कार्यकारिणी को दिया गया है ।
17. निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष आगामी तीन वर्ष के लिये अखिल भारतीय रैगर महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष होगा ।
(अ). प्रतिनिधी सम्मेलनों तथा अन्य सम्मेलनों, महासभा की कार्यकारिणी आदि की बैठकों की अध्यक्षता करेगा और कार्यवाही को नियोजित तथा नियमित करेगा । (आ). कार्यवाही पंजी, वार्षिक लेखा प्रतिवेदन, तलपट और हिसाब संबंधित अन्य पत्रादि पर उनकी शुद्धता के प्रमाणित हस्ताक्षर करेगा । (इ). महासभा के कार्य में बाधक समझे जाने वाले प्रस्तावों को प्रस्तुत करने से रोक सकेगा तथा उसकी व्याख्या करेगा । परन्तु कोई भी ऐसा प्रस्ताव जिसके द्वारा प्रधान की आलोचना की गई हो या राष्ट्रीय अध्यक्ष के संबंध में हो उसकों राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं रोक सकेगा, न ही ऐसे अवसरों पर अध्यक्षता करेगा । (ई). शांति पूर्वक कार्यवाही न होने की दशा में बैठक की कार्यवाही को स्थगित कर सकेगा । (उ). चैक भुगतान आदेश पर राष्ट्रीय अध्यक्ष हस्ताक्षर करेगा और तात्कालिक आवश्यक व्यय के लिए एक मास में एक हजार रूपये (1000.00) तक के लिए कार्यकारिणी से बिना पूर्व आज्ञा लिए आवश्यक समझने पर स्वीकृत कर सकेगा या स्वयं व्यय कर सकेगा । परन्तु भविष्य में इस अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए राष्ट्रीय महासचिव या मंत्री तथा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष को व्यय का पूरा विवरण देना आवश्यक होगा । (ऊ). आवश्यक समझने पर प्रतिनिधिी मंडल कार्यकारिणी की बैठक बुलाने के लिए राष्ट्रीय महासचिव या मंत्री को आदेश दे सकेगा । (ए). अखिल भारतीय रैगर महासभा के कार्यों तथा गतिविधियों की देख भाल करेगा तथा इसे सुनियोजित करेगा । (ऐ). राष्ट्रीय अध्यक्ष केवल निर्णायक मत देने का अधिकारी होगा परन्तु किसी विशेष अवसरों तथा बैठक में उपस्थित सदस्यों के बहुमत या सब सदस्यों के चाहने पर अपना मत प्रकट करके (लिन्ट) देकर किसी विवादास्पद प्रश्न को सुलझा सकेगा । (ओ). मंत्रियों की अनुपस्थिति में या मंत्रियों के असमर्थता प्रकट करने पर या मंत्रियों द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेशों की अवज्ञा करने पर राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं प्रतिनिधि, काय्रकारिणी बैठक अन्य सम्मेलन, गोष्ठी आदि बुला सकेंगे और तत्सम्बंधी सूचना सम्बन्धित सदन को देंगे । (औ). महासभा की कार्यकारिणी समिति के शिथिल या निश्क्रिय होने की दशा में राष्ट्रीय अध्यक्ष अन्य पदाधिकारियों के परामर्श पर यथोचित कदम उठायेगा या अत्यंत शोचनीय दशा में संकटोत्पन्न स्थिति घोषित कर सकेगें और वर्तमान ढांचे को पुर्नगठित कर सकेगा या तदर्थसमिति बना सकेगा । (अ). उपरोक्त धारा (औ) के अन्तर्गत पुनर्गठित या गठित समिति का दायित्व होगा कि यथाशीघ्र नये चुनावों की व्यवस्था करें । (आ). राष्ट्रीय अध्यक्ष महासभा का सर्वोच्च पदाधिकारी होगा जो महासभा की समस्त कार्य और गतिविधियों के संचालन और विधान की पवित्रता की रक्षा के लिए महासभा के सभी अंगों से समन्वय स्थपित करेंगे ।
18. राष्ट्रीय अध्यक्ष की अनुपस्थिति में, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सभी कर्तव्यों तथा अधिकारों का पालन करेगें ।
(अ). राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उन समस्त कार्यों को करेगें जो राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा उन्हें सोंपे गये हों तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष की इच्छा अनुसार उचित कार्यों में सहयोग देगें ।
(आ). उपरोक्त अधिकारों तथा कर्वव्यों के अतिरिक्त राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, उन कर्तव्यों तथा अधिकारों का भी पालन करेंगे जो उन्हे कार्यकारिणी द्वारा विशेष रूप से प्रदान कियेग गये हो ।
19. महासभा की कार्यकारिणी, प्रतिनिधि मण्डल तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेशानुसार अथवा स्वयं आवश्यक समझने पर बैठक बुलाएगा तथा उनकी समयोचित व्यवस्था करेगा, उनकी कार्यवाही को पंजीकृत करेगा और आगामी बैठक में प्रस्तुत कर उन पर स्वयं हस्ताक्षर करेगा तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष के पुष्टिकारक हस्ताक्षर करायेगा और स्वयं बैठकों में उपस्थित होगा ।
(अ). अखिल भारतीय रैगर महासभा की चल व अचल सम्पत्ति तथा कार्य सम्बंधी विवरणात्मक पंजी और लेख पत्रादि को व्यवस्थित रूप में रखेगा ।
(आ). किसी भी प्रकार के व्यय के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष या कार्यकारिणी की स्वीकृति प्राप्त करेगा । परन्तु वह अपने विचाराधिकार से बिना कार्यकारिणी या राष्ट्रीय अध्यक्ष को पहले आज्ञा लिए केवल 500/- रूपये मासिक व्यय कर सकेगा । इस अधिकार को भविष्य में सुरक्षित रखने के लिए उसे पिछले व्यय का पूर्ण विवरण राष्ट्रीय अध्यक्ष या राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष को देना होगा ।
(इ). महासभा के समस्त कार्यों तथा गतिविधियों की देख रेख करेगा तथा महासभा सम्बंधि पत्र व्यवहार करेगा ।
(ई). रैगर महासभा के नाम से या नाम पर आवश्यकतानुसार कार्यकारिणी के आदेशानुसार दीवानी व फौजदारी अभियोगों में उपस्थित होगा और तत्सम्बन्धि बचाव के लिए कार्य करेगा, सुलह समझौता करेगा, डिग्री हानि टुक-टूट आदि के सम्बन्ध में धन प्राप्त करेंगा या देगा ।
(उ) कार्यकारिणी के ओदशानुसार रैगर महासभा की ओर से केन्द्रीय तथा राज्य सराकारों, राजकीय, अर्द्धराजकीय, सामाजिक, राष्ट्रीय तथा अन्तर राष्ट्रीय संस्थाओं से सम्पर्क स्थापित करेंगा तथा महासभा के लिए प्रयत्न करेगा और आवश्यकता पड़ने पर महासभाकी ओर से प्रतिनिधित्व करेगा ।
20. राष्ट्रीय महासचिव की अनुपस्थिति में राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय सचिव की अनुपस्थिति में राष्ट्रीय उपमंत्री, राष्ट्रीय महासचिव के समस्त कर्तव्यों तथा अधिकारों का पालन करेंगे ।
(अ). कार्यकारिणी द्वारा या राष्ट्रीय महासचिव द्वारा किये गए कर्तव्यों और आदेशों का पालन करते रहेंगे और राष्ट्रीय महासचिव की इच्छानुसार सब प्रकार से प्रधानमंत्री की सहायता करतें रहेंगे ।
21. महासभा की और से वैद्य और उचित उपायों द्वारा प्राप्त धन की रसीद देगा तथा व्यय किये गये धन की रसीद या वाउचर प्राप्त करेगा और आय व्यय के हिसाब को उचित ढ़ंग से रखेगा और तत्सम्बन्धि पंजी एवं लेख्य आदि अपने पास रखेगा ।
(अ). वर्ष में कम से कम एक बार राष्ट्रीय अध्यक्ष या कार्यकारिणी के ओदशानुसार आय व्यय तथा पूंजी, तलपट, रसीद बुक आदि अवलाकनार्थ तथा जांच के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष, कार्यकारिणी या तत्सम्बन्धि समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगा । (आ). विधान की धारा 17 (उ) एवं 19 (आ) के अन्तर्गत राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय महासचिव को या कार्यकारिणी के आदेशानुसार किसी निर्धारित व्यक्ति को निर्धारित या आदेशित धन राशि देगा । (इ) कार्यकारिणी के आदेशानुसार 1000/- रू. (एक हजार रूपये) से अधिक धन को किसी निर्धारित बैंक, डाक घर या बैंकर के पास जमा करा देगा । (ई). चैक भुगतान पत्र, रसीदों आदि धन सम्बन्धी कागज पत्रों पर हस्ताक्षर करेंगा । (उ). आय व्यय, क्रय-विक्रय, पंजी तथा तलपट व हानि लाभ के मानचित्रों को कार्यकारिणी द्वारा नियुक्त लेखा निरीक्षक के समक्ष जांच के लिए प्रस्तुत करेगा तथा जांच किया हुआ प्रतिवेदन आदि तथा शुद्धता का प्रमाण पत्र प्राप्ति करेगा और उसे विचारार्थ कार्यकारिणी के समक्ष प्रस्तुत करेगा । (ऊ). क्रय-विक्रय उप समिति का पदेन अध्यक्ष होगा तथा उसके कार्य की व्यवस्था, संचालन व नियंत्रण करेगा और उसका विवरण रखेगा तथा प्रस्तुत करेगा ।
22. महासभा के कार्यों के हर सम्भव प्रकार से उचित सहयोग देंगे । (1). कार्यकरिणी द्वारा पारित प्रस्तावों, आदेशों व निीतियों का पालन करेंगें । (2). कार्यकारिणी का प्रत्येक सदस्य प्रतिनिधि व कार्यकारिणी आदि की बैठकों में अपने विचारों को स्वतंत्रतापूर्वक व्यक्त कर सकेगा तथा मतदान के समय एक मत दे सकेगा । (3). कोई भी सदस्य महासभा के कायक् के सम्बन्ध में कार्यकारिणी व प्रतिनिधि बैठकों और सम्मेलनों में प्रस्ताव रख सकेगा परन्तु प्रस्ताव पर विचार करने के लिए यह आवश्यक होगा कि प्रस्ताव का समर्थन तथा अनुमोदन कार्यकारिणी के सदस्यों द्वारा किया गया हो । (4). महासभा सम्बन्धी प्रस्तावों का समर्थन तथा अनुमोदन कर सकेगा व प्रस्तावों में संशोधन रख सकेगा । (5). कार्यकारिणी की बैठकों में किसी भी पदाधिकारी से महासभा सम्बन्धि कार्यों के बारे में प्रश्न पूछ सकेगा । (6). महासभा की कार्यकारिणी की दृष्टि में यदि कोई व्यक्ति ऐसा हो जिसकी सेवाएं समाज के लिए हित कर तथा आवश्यक समझी जाऍ तो कार्यकारिणी ऐसे व्यक्ति को कार्यकारिणी का सदस्य मनोनीत कर सकेगी परन्तु इस प्रकार मनोनित सदस्यों की संख्या 4 से अधिक नहीं होगी यह संख्या धारा-14 में वर्णित के अतिरिक्त होगी । (7). राष्ट्रीय अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उप-प्रधान, दोनों की अनुपस्थिति में सदस्यों द्वारा निर्वाचित तात्कालीक राष्ट्रीय अध्यक्ष अध्यक्षता करेगा । (8). कार्यकारिणी समिति महासभा के समस्त कार्यों की व्यवस्था, वैधानिक प्रतिनिधित्व, समस्त अधिकारों व पूंजी एवं सम्पत्ति का समाज हित के कार्यों में उपयोग करेगी । (9). किसी भी पदाधिकारी या सदस्य के विरूद्ध आरोप लगा सकेगी तथा अनुशासनात्मक कार्यवाही व अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत व स्वीकृत कर सकेगी । (10). महासभा के लक्ष्यों एवम उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पूर्ण प्रयत्न करेगी तथा इस के लिए वैधानिक तथा उचित उपयों का निरूपण कर कार्यान्वित करेगी । (11). महासभा के हित के लिए तथा कार्यों को तीव्र गति से चलाने के लिए किसी भी प्रकार की उप समितियों का गठन कर सकेगी और उनके नियम उप नियम बना सकेगी । (12). प्रादेशिक, आर्न्तदेशीय, कार्यकारिणी तथा प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों के परस्पर एवं महासभा सम्बन्धि विवादों का निपटारा करेगी । (13). भारत सरकार, राज्य सरकारों, राष्ट्रीय तथा अर्न्तराष्ट्रीय संस्थाओं से सम्पर्क स्थापित कर सकेगी । (14). महासभा के कार्य के लिए किसी व्यक्ति को नियुक्त, पद्धोन्नत, कार्यमुक्त तथा निलम्बित कर सकेगी । (15). कार्यकारिणी की बैठक साधारणत: वर्ष में दो बार हुआ करेगी तथा इसकी विषय सूची दिनांक व निश्चित स्थान तथा समय की सूचना प्रत्येक सदस्य को कम से कम दो सप्ताह पूर्व पहुंचा दी जाएगी । (16). कोई भी व्यक्ति जो महासभा का दो वर्ष तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुका हो कार्यकारिणी का पदेन सदस्य होगा । (17). कार्यकारिणी को अधिकार होगा कि वह ऐसी बातों के बारे में जो विधान की किसी भी धारा के अन्तर्गत न आई हो, नियम, उप नियम बना सकेगी । (18). कार्यकारिणी प्रति वर्ष एक लेखा निरीक्षक की नियुक्ति करेगी जो महासभा के हिसाब की जांच करेगा कार्यकारिणी लेखा निरीक्षक को हिसाब किताब की जांच के लिए उचित सुविधा प्रदान करेगी । (19). संकटापन्न परिस्थिति में महासभा के हित में यथोचित कार्यवाही करेगी, परन्तु बन्धन होगा कि ऐसी कार्यवाही जो विधान में उल्लेखित कार्यकारिणी के अधिकारों से बाहर हो तो पुष्टि के लिए यथाशीघ्र रखेगी ।
23. ”देश के प्रत्येक प्रदेश, जिले एवं तहसील/ब्लॉक में अखिल भारतीय रैगर महासभा की शाखाऐं होगी जो अखिल भारतीय रैगर महासभा की प्रदेश, जिला एवं तहसील/ब्लॉक ईकाइयों के ना से नामित होगीं । ”
(अ). प्रत्येक प्रदेश, जिला एवं तहसील/ब्लॉक ईकाइयों के निम्न पदाधिकारी होगें ।
प्रदेश, जिला, तहसील/ब्लॉक अध्यक्ष | 1 |
प्रदेश, जिला, तहसील/ब्लॉक उपाध्यक्ष | 2 |
प्रदेश, जिला, तहसील/ब्लॉक महासचिव | 1 |
प्रदेश, जिला, तहसील/ब्लॉक सचिव | 2 |
प्रदेश, जिला, तहसील/ब्लॉक संगठन सचिव | 2 |
प्रदेश, जिला, तहसील/ब्लॉक प्रचार/प्रसार सचिव | 2 |
प्रदेश, जिला, तहसील/ब्लॉक कोषाध्यक्ष | 1 |
प्रदेश, जिला, तहसील/ब्लॉक कार्यकारिणी सदस्य | 11 |
(इ). प्रादेशिक सभा के वे पदेन सदस्य जो महासभा के पदाधिकारी होने के कारण वहां के पदेन सदस्य हैं, वे प्रादेशिक सभा के किसी पद पर न तो निर्वाचित किये जा सकेगें और न ही मनोनीत । 23 (अ) अनुसार प्रत्येक प्रदेश, जिला एवं तहसील/ब्लॉक ईकाइयों के पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों का कार्यकाल धारा 36 के अनुरूप होगा।
(ई). प्रादेशिक सभा के पदाधिकारी धारा – 23 (अ) होगें जो उस प्रदेश के प्राथमिक सदस्यों द्वारा उन्हीं में से निर्वाचित किये जावेगें । प्रादेशिक सभा की कार्यकारिणी में पदाधिकारियों सहित अधिक से अधिक 33 होगें । किन्तु अखिल भारतीय रैगर महासभा के निर्वाचित पेदन व मनोनीत पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी के सदस्य प्रादेशिक सभा के अतिरिक्त सदस्य होगें । तथा प्रत्येक प्रदेश, जिला एवं तहसील/ब्लॉक ईकाइयों के निर्वाचित पदाधिकारियों एवं आयोजन प्रयोजनों की सूचना समय समय पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी को प्रेषित करनी होगी ।
(उ). प्रत्येक प्रदेश, जिला एवं तहसील/ब्लॉक ईकाईया राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सामान्य नियत्रंण एवं सुपरविजन में कार्य करेगें।
(ऊ). प्रत्येक प्रदेश, जिला एवं तहसील/ब्लॉक र्इकाइया राष्ट्रीय कार्यकारिणी के प्रस्तावों, निर्देशों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगीं ।
(ए). प्रत्येक प्रदेश, जिला एवं तहसील/ब्लॉक ईकाइयों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से अनुमोदन पत्र प्राप्त करना होगा ।
(ऐ). यदि कोई प्रादेशिक, जिला एवं तहसील/ब्लॉक सभा अखिल भारतीय रैगर महासभा के विधान, नीति, पारित प्रस्तावों तथा आदेशों के प्रतिकूल कार्य करेगी तो अखिल भारतीय रैगर महासभा की कार्यकारिणी समिति को अधिकार होगा कि वह ऐसी प्रादेशिक, जिला एवं तहसील/ब्लॉक सभा को निलम्बित कर दे तथा महासभा के कार्य को चालू रखने के लिए उस प्रदेश में एक तदर्थ समिति की स्थापना कर सकेगी ।
(ओ). इस धारा को विलोपित करते हुए व्यवस्था धारा 10(इ) इनुसार कर दी गई है किन्तु प्राप्त राशि का चौथाई (1/4) हिस्सा राष्ट्रीय महासभा को भेजना होगा ।
24. अखिल भारतीय रैगर महासभा की कार्यकारिणी की बैठक महासभा के अधिवेशनों या सम्मेलनों से पूर्व महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की अध्यक्षता में विषय समिति के रूप में होगी एवं कार्यकारिणी के सदस्यों के अतिरिक्त हर प्रदेश के अध्यक्ष एवं मंत्री भी सम्मिलित हो कर केवल विचार प्रकट कर सकेगें ।
(अ). विषय समिति महासभा के सम्मेलनों के या अधिवेशनों के लिए कार्यक्रम निर्धारित करेगी, जिसमें प्रस्तुत किये जाने वाले प्रस्ताओं के प्रारूप भी सम्मिलित होगें ।
25. महासभा के आय व्यय की वार्षिक जांच के लिए कार्यकारिणी एक या एक से अधिक व्यक्तियों की नियुक्ति करेगी ।
26. कोई भी व्यक्ति अपनी सदस्यता, प्रतिनिधित्व या निर्वाचित हो सकेगा, यदि उसकी मृत्यु हो जाती है, पागल हो जाता है, लिखित रूप में त्याग पत्र देता है (परन्तु जब तक त्याग पत्र वैधानिक रूप से स्वीकृत न हो अपने दायित्व से मुक्त नहीं समझा जायेगा), यदि किसी के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता हों, मांग करने पर भी निर्धारित शुल्क निश्चित अवधि में नहीं देने पर –
(अ). जो व्यक्ति किसी समिति या कार्यकारिणी समिति में अपने मूल पद अथवा सदस्यता के कारण मनोनित या निर्वाचित किया गया हो तो उपरोक्त कारणों से पृथक होने पर वह उन पदों या सदस्यता से मुक्त समझा जायेगा ।
27. साधारणतया प्रति तीन वर्ष में अखिल भारतीय रैगर महासभा का अधिवेशन कार्यकारिणी या प्रतिनिधि मण्डल द्वारा निश्चित किये गये समय और स्थान पर होगा ।
(अ). अधिवेशन पहले उप प्रस्तावों पर विचार करेगा जिनकी विषय समिति में सिफारिश की हो ।
(आ). इस के पश्चात अधिवेशन उक्त प्रस्तावों पर विचार करेगा जो धारा 25 के अनुसार न आता हो परन्तु जिसके लिए उस दिन की बैठक प्रारम्भ होने के पूर्व 5 प्रतिनिधियों ने अधिवेशन में प्रस्तुत करने की अनुमति विषय समिति से पत्र लिख कर मांगी हो ।
(इ). जिस प्रादेशिक सभा के अधिकार क्षेत्र में अधिवेशन होगा, वह अधिवेशन के लिए महासभा की देख रेख में, ऐसी व्यवस्था करेगी जो आवश्यक जान पड़े और इस कार्य के लिए वह एक स्वागत समिति बनायेगी जो सामान्यत: उसी पद प्रदर्शन में काम करेगी तथा उसमें ऐसे व्यक्तियों को भी सम्मिलित करने का अधिकार होगा जो उस प्रादेशिक सभा के सदस्य न हों ।
(ई). स्वागत समिति अपने सदस्यों में से स्वागताध्यक्ष, स्वगतमंत्री तथा अन्य पदाधिकारी चूनेगी।
(उ). स्वागत समिति को आय व्यय का लेखा सम्बन्धित प्रादेशिक या अखिल भारतीय रैगर महासभा द्वारा जांचा जाएगा और अधिवेशन की समाप्ति के बाद तीन मास के अन्दर-अन्दर प्रादेशिक सभा उस लेखा निरीक्षक की रिपोर्ट सहित अखिल भारतीय रैगर महासभा को भेजेगी, स्वागत समिति के पास यदि कोई धन राशि बच जाएगी तो वह अखिल भारतीय रैगर महासभा और उस प्रादेशिक महासभा के बीच बराबर-बराबर बांटी जायेगी ।
28. अखिल भारतीय रैगर महासभा की चल अचल सम्पत्ति के लिये यदि कोई अलग से न्यास (ट्रस्ट) नहीं बना हुआ है तो वह किसी व्यक्ति विशेष के नाम न होकर अखिल भारतीय रैगर महासभा के नाम होगी और उसके प्रबंध आदि का सारा उत्तरदायित्व महासभा की कार्यकारिणी पर होगा।
(अ). यह सम्पत्ति सभा तथा सरकारी आदि सब कार्यवाहियों में सभा के नाम पर ही सम्बोधित की जायेगी । (आ). सभा की सम्पत्ति केवल सभा के कार्य के लिये ही उपयोग की जायेगी । (इ). सम्पत्ति या उसका कोई भाग किसी भी व्यक्ति विशेष के उपयोग में नही लाया जा सकेगा । परन्तु यह नियम वहां पर लागू नहीं होगा जहां महासभा अपने कार्य के लिए वेतन भत्ते पर कार्यकर्ता या कर्मचारी नियुक्त करें ।
29. महासभा का विशेष अधिवेशन तब होगा जब कार्यकारी ऐसा निश्चय करे या अधिकांश प्रादेशिक सभाएं इसके लिए अखिल भारतीय रैगर महासभा कार्यकारिणी से मांग करे ।
(अ). इस प्रकार के अधिवेशनों की व्यवस्था वह प्रादेशिक सभा करेगी जिसे अखिल भारतीय रैगर महासभा कार्यकारिणी समिति चुने ।
30. किसी भी पदाधिकारी कार्यकारिणी के सदस्य तथा प्रतिनिधि के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव उस विशेष बैठक में प्रस्तुत किया जा सकेगा, जिसकी संबंधित पदाधिकारियों, सदस्यों या प्रतिनिधियों को एक सप्ताह पूर्व तत्सम्बन्धी पूर्ण विविरण सहित सूचना दे दी गई हो ।
(अ). अविश्वास प्रस्ताव पर तब तक विचार नहीं किया जा सकेगा जब तक कि तत्सम्बन्धी व्यक्ति की अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर न दिया गया हो । (आ). अविश्वास प्रस्ताव उक्त बैठक की उपस्थित की कम से कम 2/3 के बहुमत से स्वीकृत किया जा सकेगा । (इ). जिस व्यक्ति के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो चुका हो वह तत्काल ही पदच्युत हो जायेगा, किन्तु दायित्व से नहीं । (ई). जिस व्यक्ति के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो चुका हो वह तीन वर्ष तक प्रतिनिधि नहीं हो सकेगा ।
31. अखिल भारतीय रैगर महासभा की तथा समाज की उन्नति कार्य में बाधक होने वाले पदाधिकारी प्रतिनिधि या सदस्य के विरूद्ध कार्यकारिणी अुनशासनात्मक कार्यवाही कर सकेगी तथा यह कार्यवाही तत्सम्बन्धी व्यक्ति को पद या सदस्यता से पृथक या निलम्बित करने या अन्य रूप में हो सकेगी।
(अ). यदि कोई सदस्य या पदाधिकारी अकारण लगातार ती बैठकों से अनुपस्थित रहेगा तो कार्यकारिणी उने विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सकेगी ।
32. साधारणतया किसी बैठक की गणपूर्ति के लिये उसकी कुल सदस्यता की 1/3 उपस्थिति होना आवश्यक होगी । स्थगित बैठक के लिए गणपूर्ति का बंधन नहीं होगा किन्तु ऐसी बैठक की घोषणा अध्यक्ष और तत्काल उक्त बैठक में ही कर दी जायेगी ।
33. अखिल भारतीय रैगर महासभा का अपना एक ध्वज होगा जो केसरिया रंग का तिकोना होगा जिसके बाहर के भाग का कोना धी लम्बा होगा इसके बीच में सूर्य, चक्र, स्वास्तिक और ओंम् होगा । यह झंडा अखिल भारतीय रैगर महासभा या प्रान्तीय रैगर महासभा के सम्मेलनों, कार्यालय या अन्य रैगर समाज संबंधी समारोहों पर फहरया जा सकेगा ।
34. अखिल भारतीय रैगर महासभा की कार्यकारिणी अपनी प्रथम बैठक में उपस्थिति के 2/3 के बहुमत से एक चुनाव न्यायाधिकरण का गठन करेगी, जिसका एक अध्यक्ष व चार सदस्य होगें ।
(अ). चुनाव न्यायाधिकरण का कोई सदस्य अपनी सदस्यता के कार्यकाल में न तो महासभा के किसी निर्वाचन पद का अधिकारी हो सकेगा और न ही वह महासभा के किसी निर्वाचन के लिये प्रत्याशी के रूप म ही खड़ा हो सकेगा । (आ). यह चुनाव न्यायाधिकरण जिस अखिल भारतीय रैगर महासभा तथा प्रादेशिक विवादग्रस्त चुनाव सम्बन्धि विषियों को तीन माह में जांच करके अपना निर्णय देगा। (इ). चुनाव न्यायाधिकारीण के निर्णय के विरूद्ध अखिल भारतीय रैगर महासभा की कार्यकारिणी में न्यायाधिकरण के निर्णय देने के एक मास की अवधि में अपील की जा सकेगी। कार्यकारिणी समिति का निर्णय अन्तिम होगा। (ई). जहां कहीं से कपटपूर्ण ढंग से प्रतिनिधियों के चुने जाने की रिपोर्ट आयेगी वहां चुनाव न्यायाधिकरण या कार्यकारिणी समिति को ऐसी शिकायतों की जांच पड़ताल और आवश्यक कार्यवाही करने का अधिकार होगा । (उ). जब तक किसी विवादास्पद चुनाव के बारे में चुनाव न्यायाधिकरण की अपील की गई हो तो महासभा की कार्यकारिणी समिति द्वारा अन्तिम निर्णय नहीं दे दिया जाता तब तक जो व्यक्ति चुना जा चुका है वही उचित रूपेण निर्वाचित समझा जावेगा।
35. यदि किसी प्राथमिक सदस्य प्रतिनिधि या पदाकिधकरी का किसी के निर्वाचन पर आपत्ति हो तो उस व्यक्ति के निर्वाचन घाषणा के एक माह की अवधि में तत्सम्बंधी चुना याचिका आवयश्क तथ्यों, लेखे, पत्रों और 250/- रूपये शुल्क के साथ चुनाव न्यायाधिकरण के पास भेज देने होंगें । एक माह के पश्चात् इस प्रकार की चुनाव याचिका पर कोई विचार नहीं होगा जब तक कि कार्यकारिणी समिति इस सम्बन्ध में कोई विशेष आदेश न दे ।
36. अखिल भारतीय रैगर महासभा की राष्ट्रीय, प्रादेशिक, जिला एवं तहसील/ब्लॉक की कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा । यदि तीन वर्ष की अवधि में किसी कारणवश चुनाव नहीं हो सके तो कार्यकारिणी का कार्यकाल स्वत: प्रथम बार छ: माह तक एवं दूसरी बार तीन माह और बढ़ जायेगा । परन्तु इस वर्धित काल में कार्यकारिणी समिति का नव निर्वाचन अनिवार्य रूप से हो जाना चाहिए अन्यथा कार्यकारिणी समिति राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित सवत: पदच्युत हो जायेगी ।
37. इस विधान में कोई भी संशोधन, परिवर्धन, परिशोधन तब तक मान्य नहीं होगा जब तक की प्रतिनिधियों की उक्त विषयक बुलाई गई बैठक में कम से कम 3/5 के बहुमत से स्वीकृत न हो जाये ।
(अ). यदि किसी कारणवश प्रतिनिधि मंडल की बैठक न हो तो ऐसी परिस्थिति में अखिल भारतीय रैगर महासभा की कार्यकारिणी समिति को तदविषयक बैठक में सदस्यों की 3/5 की उपस्थिति के बहुमत से विधान में संशोधन, परिवर्तन, परिवर्धन तथा परिशोधन करने का अधिकार होगा । परन्तु ऐसे संशोधन अदि छ: माह से अधिक मान्य नहीं होगा । यदि वह इस अवधि में प्रतिनिधि मंडल द्वारा स्वीकृत न करवा लिया गया हो ।
38. महासभा द्वारा आयोजित बैठकों में या उसकी उपसमितियों की बैठकों में निमंत्रित व्यक्तियों को या महासभा के कार्यार्थ भेजे गए शिष्ट मंडलों या व्यक्तियों का महासभा द्वारा दोनों ओर का, तीसरी श्रेणी का, मार्ग व्यय, भोजन व्यय तथा अन्य उचित व्यय दिया जायेगा ।
39. राष्ट्रीय अध्यक्ष यदि त्याग पत्र दे तो वह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को तथा अन्य पदाधिकारी या कार्यकारिणी के सदस्य त्याग पत्र दे तो राष्ट्रीय अध्यक्ष को संबोधित करेगें ।
40. कोई व्यक्ति एक से अधिक प्रादेशिक सभाओं का सदस्य या पदाधिकारी नहीं हो सकेगा।
(अ). कोई व्यक्ति प्रादेशिक तथा अखिल भारतीय रैगर महासभा का एक साथ पदाधिकारी नहीं हो सकेगा। (आ). अखिल भारतीय रैगर महासभा या प्रादेशिक सभा अपने से छोटी किसी सभा या कमेटी या व्यक्ति को अपने कोई भी कार्य सौंप सकेगी । (इ). भारतीय पंजीकरण एक्ट के अन्य सभी नियम महासभा पर लागू होंगे । (ई). जहां भिन्नाकों के मूल्याकंन के प्रश्न उठे, वहां आधा या इससे अधिक को एक और आधा से कम को शून्य माना जायेगा । (उ). इस विधान में जहां कहीं मत (वोट) या इसका भाव बोधक शब्द आया है वहां उसका तात्पर्य वैध मत से है ।
41. यदि किसी समय ऐसा प्रतित हा कि महासभा अब आगे अपने लक्ष्य एवं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य करने में अक्षम है तो तत्काल पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी समिति सदस्यों के 3/4 मत से इस आशय के प्रस्ताव पारित करने पर महासभा ऐसे प्रस्ताव के एक वर्ष पश्चात् अपेक्षित कार्य न करने के पश्चात् महासभा भंग हो जायेगी किन्तु बन्धन होगा कि महासभा की सम्पत्ति एक वर्ष तक अतिरिक्त शीघ्र नष्ट होने वाली सम्पत्ति के, महासभा के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करने वाली रैगर संस्थाओं में वितरित की जा सकेगी।
संस्थान पंजीकरण अधिनियम 1860 (पंजाब संशोधन) में वर्णित नियम इस पर लागू होगें।
प्रमाणित किया जाता है कि यह प्रतिलिपि अखिल भारतीय रैगर महासभा के विधान (नियमों) की संशोधित शुद्ध एवं प्रमाणित प्रतिलिपि है ।
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(साभार – अखिल भारतीय रैगर महासभा विधान)