युवा शक्ति और युवा कंधे किसी भी समाज की अमूल्य धरोहर और बहुमूल्य सम्पदा होती हैं । और इस बात को युवाओ ने हर युग और अतीत में साबित भी किया हैं । युवाओ में अंसभव के पार देखने की अद्भुत क्षमता होती हैं और यही जोश और अंसभव को संभव करने के बल के कारण हर समाज सदैव युवा शक्ति से एक विशेष टकटकी लगाये रहता हैं ।
धार्मिक सद्भाव, सहयोग पर्व, उत्सव, कला और साहित्य संस्कृति के अंग है । इनका आदान प्रदान संस्कृति एकता को जन्म देता है । संगठन की अखण्डता एक समाज का जीवन और समृद्धि के लिए अनिवार्य है। जो समाज अपने पैरों पर खड़ा होना जानता है वह कभी परास्त नहीं हो सकता । इसी प्रकार हर समाज की युवा शक्ति उस समाज के पैर है ओर इसी समाज की युवा शक्ति को संगठित करने हेतु व समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की सोच पैदा करने के उद्देश्य से अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजी.) ने जिन राज्यों में रैगर समाज निवास करता है वहां पर युवा प्रकोष्ठ की प्रदेश कार्यकारिणीयों के गठन का प्रावधान है ताकि महासभा की गतिविधियां से समाज के युवाओं को जोड़ कर उनमें समाज के प्रति जागृति पैदा कर नई सौच को आगे लाया जाये व समाज के युवाओं को संगठित व मजबूत बनाने के लिए युवा प्रकोष्ठ प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया है क्योंकि आज का युवा ही हमारे कल का भविष्य है ।
प्रादेशिक विभाजन के अंतर्गत प्रत्येक युवा प्रकोष्ठ का भी प्रदेश में अपना एक मुख्य कार्यालय स्थापित करेगा । परन्तु कार्यालय के स्थान की पूर्व स्वीकृति महासभा की कार्यकारिणी से लेनी होगी । प्रादेशिक सभा की कार्यकारिणी महासभा की कार्यकरिणी से स्वीकृति लेकर अपना कार्यालय अन्यंत्र बदल सकेगी । राष्ट्र के सभी प्रदेश एवं उनके जिले महासभा के क्षेत्र होगें ।
”देश के प्रत्येक प्रदेश, जिले एवं तहसील/ब्लॉक में अखिल भारतीय रैगर महासभा की शाखाऐं होगी जो अखिल भारतीय रैगर महासभा के युवा प्रकोष्ठ के अंतर्गत प्रदेश, जिला एवं तहसील/ब्लॉक ईकाइयों के नाम से नामित होगीं। ” प्रत्येक प्रदेश, जिला एवं तहसील/ब्लॉक ईकाइयों के निम्न पदाधिकारी होगें।